पन्ना। जिस बाघ ने पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों का संसार बसाया हो और जिस बाघ का 52 बाघों का संसार बसाने में विशेष योगदान रहा हो। आज वही बाघ टी-3 अपना आशियाना बचाने के लिए अपनी ही संतानों से आपसी लड़ाई करने को मजबूर है। दरअसल यह वह बाघ है, जो 7 नवंबर 2010 को पेंच टाइगर रिजर्व से पन्ना लाया गया था और इसी ने पन्ना टाइगर रिजर्व को देश में वह पहचान दी जो बाघ पुनस्र्थापना योजना में मील का पत्थर साबित हुई है। पेंच टाइगर रिजर्व से पन्ना टाइगर रिजर्व लाए गए बाघ का नाम टी-3 रखा गया। इसे टाइगर रिजर्व का भीष्म पितामह भी कहां जाता है। शुरुआती दिनों में यह पन्ना टाइगर रिजर्व से निकलकर कई बार अपने पुराने आशियाने में जाने की कोशिश करता था लेकिन पूर्व प्रबंधन और फील्ड डायरेक्टर मूर्ति की अथक मेहनत के कारण आखिरकार इसने इस टाइगर रिजर्व को ही अपना आशियाना बना लिया। इसने तीन बाघिनों की मदद से 52 शावकों को जन्म दिया। आज जो बाघ इस टाइगर रिजर्व में मौजूद हैं वह देश-विदेश के पर्यटकों को टाइगर रिजर्व की ओर आकर्षित करते हैं। वैसे तो इस बाघ ने अन्य बाघिनों की मदद से 72 से अधिक शावकों को जन्म दिया लेकिन कुछ टाइगर रिजर्व को छोड़ कर चले गए। लेकिन जो बाघों का संसार इस समय पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूद है उनकी संख्या अभी 52 के करीब है। पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि अब टी-3 बाघ यानी पन्ना टाइगर रिजर्व का भीष्म पितामह अब जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर है और इसे प्रकृति का नियम ही कहें कि जिस बाघ ने अपनी संतानों को लडऩा, शिकार करना सिखाया आज वही संतान उसको इस टाइगर रिजर्व से खदेड़ रही हैं। आखिर अब इस टाइगर रिजर्व के भीष्म पितामह बूढ़े जो हो गए हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व का भीष्म पितामह अब जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर